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पशुपालन

गलाघोंटू ( Hemorrhagic Septicemia )

गलाघोंटू रोग एक जानलेवा बीमारी है जो मुख्य रूप से गाय और भैंसों को प्रभावित करती है। यह रोग Pasteurella multocida नामक जीवाणु के कारण होता है और इसके लक्षणों में तेज बुखार, सांस लेने में कठिनाई, और गर्दन में सूजन शामिल हैं।
इसे घूरखा, घोंटुआ, अषढ़िया, डकहा जैसे नामों से भी जाना जाता है. गलघोंटू रोग से पीड़ित पशु 1-2 दिन के अंदर मर सकते हैं.

गलाघोंटू रोग के लक्षण:

गलाघोंटू शुरुआत तेज बुखार (105-107 डिग्री) से होती है।
आंखें लाल और सूजी हुई
नाक, आंख, और मुंह से स्त्राव
गर्दन, सिर, या आगे की दोनों टांगों के बीच सूजन
सांस लेते समय घुर्र-घुर्र की आवाज़
सांस लेने में कठिनाई

गलघोंटू रोग से बचाव के उपाय:

पशुओं को प्रति वर्ष वर्षा ऋतु से पूर्व इस रोग का टीका लगवाएं।
पशुओं को झूठा चारा और गंदा दाना-पानी न खिलाना चाहिए.
पशुओं की ठीक से देखभाल करनी चाहिए.
पशुओं के तबेले में पानी भरकर रखना चाहिए और साफ़-सफ़ाई करनी चाहिए.
बीमार पशुओं को अन्य स्वस्थ पशुओं से अलग रखना और उनके आवास को स्वच्छ रखना भी महत्वपूर्ण है।

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